पूजन अनुष्ठान एवं सम्पूर्ण दोष निवारण / Showing you the secret path to success for 60 years
पंडित नंदकिशोर शर्मा उम्र (60) वर्ष से उज्जैन मैं प्रभु सेवा दे रहे है आप आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हों, धार्मिक प्रथाओं की खोज कर रहे हों, या उज्जैन और इसके सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानकारी तलाश रहे हों, हमारा लक्ष्य आपकी सभी आवश्यकताओं के लिए एक व्यापक संसाधन बनना है।
सनातन धर्म में "दोषपूजन " का अर्थ,
किसी व्यक्ति या स्थिति के दोषों को नष्ट करने के लिए पूजा अर्चना करना। यह प्रथा मुख्यतः तंत्र मार्गी उपासना में प्रचलित है, जिसमें देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए दोषों के नाश का प्रयास किया जाता है।
इस प्रकार के पूजन का महत्व विभिन्न हो सकता है, और इसमें कई पहलुओं को मध्य में रखा जा सकता है:
दोषों का नाश:
यह पूजन व्यक्ति के जीवन में आ रहे किसी भी प्रकार के दोषों को नष्ट करने के लिए की जाती है, जिससे उसका जीवन सुखमय और समृद्धि से भरा रहे।
उपासक की साधना:
यह पूजा व्यक्ति को अपनी साधना में समर्थन प्रदान करने का एक तरीका हो सकती है, जिससे वह अपने ध्यान और साधना में और भी समर्थ हो सकता है।
उच्च स्तर की उपासना:
इस प्रकार की पूजा तंत्र मार्ग के अनुयायियों के लिए उच्च स्तर की उपासना का एक हिस्सा हो सकती है, जिसमें वे देवी-देवताओं के साथ संबंध बना सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
शक्ति प्राप्ति:
इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति अद्भुत शक्तियों का अनुभव कर सकता है, जो उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हो सकती हैं।
हालांकि, इसे लेकर मतभेद हो सकता है, क्योंकि कुछ लोग इसे केवल पुराणिक और तंत्रिक उपासना में शामिल होने वाला एक प्रयास मान सकते हैं, जबकि दूसरे इसे सनातन धर्म के अनुष्ठान का अभिन्न हिस्सा मान सकते हैं।