मंगल ग्रह का प्रभाव कुंडली में विवाह और पारिवारिक जीवन पर हो सकता है, विशेषकर जब यह लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश स्थान में होता है। यह स्थिति मंगल दोष के रूप में जानी जाती है, जिसे कुछ लोग विवाह या संबंध से जुड़ी समस्याओं का कारण मानते हैं।
मंगल पूजा उज्जैन वह पूजा है जो किसी व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं या विघ्नों को दूर करने के लिए की जाती है। इस पूजा का प्रमुख स्थल है मंदिर, जो अंगारेश्वर उज्जैन MP, भारत में स्थित है। मंगल ग्रह को अंगारेश्वर के रूप में पूजा जाता है। मंगल आत्म-सम्मान, स्वभाव, अहंकार, और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन यह एक आक्रामक ग्रह भी है जिसका प्रभाव कुंडली में विभिन्न क्षेत्रों में होने पर विभिन्न रूपों में महसूस हो सकता है।
यदि किसी की कुंडली में मंगल विशेष क्षेत्रों में है, तो उसे मंगलिक दोष कहा जा सकता है, जिसे विवाह या संबंध से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। मंगल पूजा उज्जैन इस दोष को दूर करने के लिए की जाती है। यहां व्यक्ति को अपनी कुंडली की जानकारी के आधार पर मंगल पूजा करने का आदर्श तरीका बताया गया है।
पूजा के लिए स्थान का चयन
पूजा के लिए स्थान का चयन एक महत्वपूर्ण पहलु है जो योग्यता, शांति, और पवित्रता की भावना को बनाए रखने के लिए किया जाता है। एक उचित पूजा स्थान का चयन करने के लिए निम्नलिखित विचार करें:
पुराणों में मंगल ग्रह का जन्म स्थान उज्जैन में माना गया है। इसलिए मंगल ग्रह की शांति के लिए यथा संभव अंगारेश्वर महादेव में विशेष पूजा फलदायी मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि इस पूजा से मंगल ग्रह दोष की शांति होती है और विवाह योग्य युवक-युवतियों के विवाह में मांगलिक दोषों के कारण आ रही समस्याएं हल हो जाती है।
श्री अंगारेश्वर महादेव (उज्जैन) ही भूमि पुत्र मंगल हैं अवंतिका कि प्राचीन 84 महादेवों में स्थित 43वे महादेव श्री अंगारेश्वर महादेव जो कि सिद्ध्वट (वट्व्रक्ष) के सामने शिप्रा के उस पर स्थित हैं, जिन्हें मंगल देव (गृह) भी कहा जाता हैं।
योग्य मुहूर्त का चयन:
शुभ मुहूर्त का चयन करें, जो पंडित या ज्योतिषी की सलाह लेकर किया जा सकता है।
स्नान और शुद्धि:
स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मंगल पूजा के दौरान व्रत रखें
मंगल मंत्र जप: Energy Power and Self-Confidence
“ऊं अंगारकाय नमः” या अन्य मंगल मंत्र का जप करें।
ध्यान दें कि किसी भी पूजा या उपाय को करने से पहले व्यक्ति को अपनी कुंडली की गहराईयों से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और इसे अपनी आध्यात्मिक निष्ठा और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
अंगारेश्वर महादेव (उज्जैन) भूमि पुत्र मंगल हैं, अवंतिका के प्राचीन 84 महादेवों में से 43वें महादेव श्री अंगारेश्वर महादेव हैं, जो सिद्धवट (वटवृक्ष) के सामने शिप्रा पर स्थित हैं, जिन्हें मंगल देव (गृह) भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन इस महालिंग श्री अंगारेश्वर के दर्शन करता है उसका दोबारा जन्म नहीं होता। मंगलवार को इस लिंग की पूजा करने वाला इस युग में सफल होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।
मंगलवार को चतुर्थी के दिन अंगारेश्वर के दर्शन, व्रत और पूजन करने से संतान, धन, भूमि, संपत्ति और यश की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि उनकी पूजा से वास्तु दोष और भूमि दोष भी ठीक हो जाते हैं। कोर्ट में जीत. इस लिंग पर चावल से पूजा करने से मंगल दोष और भूमि दोष का भी निवारण होता है।